KRISHNA

KRISHNA
Pathalgaon

Friday, May 25, 2012

आकाशात् पतितं तोयं यथा गच्छति सागरम् सर्वदेवनमस्कार: केशवं प्रति गच्छति ।।
 
अर्थ : जिस प्रकार आकाशसे गिरा जल विविध नदियों के माध्यम से अंतिमत: सागर से जा मिलता है उसी प्रकार सभी देवताओंके लिए किया हुआ नमन एक ही परमेश्वरको प्राप्त होता है ।
 
शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे गजे साधवो न हि सर्वत्र चन्दनं न वने वने ।।
अर्थ : हर एक पर्वतपर माणिक नहीं होते, हर एक हाथी में (उसके गंडस्थलमें ) मोती नहीं मिलते साधु सर्वत्र नहीं होते । हर एक वनमें चंदन नहीं होता दुनियामें अच्छी चीजें अधिक मात्रामें नहीं मिलती ।
 

No comments: